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Showing posts from July, 2018

सुभाष चन्द्र बोस की पत्नी एमिली शेंकल का जीवन

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बात 1947 से पहले की है.....यह कहानी एक जर्मन महिला की है, जिनका नाम था (Emilie_Schenkl) एमिली शेंकल     ..... मुझे नहीं पता आपमें से कितनों ने ये नाम सुना है.... और अगर नहीं सुना है तो आप दोषी नहीं । इस नाम को इतिहास से खुरच कर निकाल फेंका गया..... श्रीमती एमिली शेंकल ने 1937 में भारत माँ के लाड़ले बेटे सुभाष चन्द्र बोस से विवाह किया और एक ऐसे देश को ससुराल के रूप में चुना जिसने कभी इस बहू का स्वागत नहीं किया.... न बहू के आगमन में किसी ने मंगल गीत गाये और न उसकी बेटी के जन्म पर कोई सोहर गायी गयी....... कभी कहीं जन मानस में चर्चा तक नहीं हुई कि वो कैसे जीवन गुजार रही हैं....... सात साल के कुल वैवाहिक जीवन में सिर्फ 3 साल ही उन्हें अपने पति के साथ रहने का अवसर मिला फिर उन्हें और नन्हीं सी बेटी को छोड़ पति देश के लिए लड़ने चला आए इस वायदे के साथ कि पहले देश को आज़ाद करा लूँ फिर तो सारा जीवन तुम्हारे साथ बिताना ही है..... पर ऐसा हुआ नहीं औऱ 1945 में एक कथित विमान दुर्घटना में वो लापता हो गए......! उस समय एमिली शेंकल बेहद युवा थीं चाहतीं तो यूरोपीय संस्कृति के हिसाब से दूसरा विवा

विभाजन के बाद 1947 में पाकिस्तान में हिंदुओं की हत्याओं

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"विभाजन के बाद 1947 में पाकिस्तान में हिंदुओं की हत्याओं, लड़कियों से बलात्कार का नंगा नाच हो रहा था। लाहौर से हर ट्रैन में लाशें और उन पर मंडराते कुत्ते, गिद्ध दिखाई दे रहे थे तब नेहरू जी ने रेडियो पर शरणार्थी शिविरों में रह रहे हिंदुओं से धैर्य और शांति बनाये रखने की अपील की। दूसरे दिन वो शिविरों में इंदिरा  के साथ गए। वहां नेहरू तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश में एक 80 वर्षीय वृद्ध ने इंदिरा को स्पर्श कर दिया। नेहरू ने तुरंत ही उसे तमाचा जड़ दिया। वो वृद्ध लाहौर का प्रसिद्ध व्यापारी था जिस पर वक़्त की मार पड़ रही थी। तमाचा खा कर वो जोर से हंसा और बोला, "इंदिरा मेरी पोती समान है क्योंकि आप खुद मेरे बेटे की उम्र के हैं। मेरा हाथ लग जाने भर से आप क्रोधित हो गए और मेरी 3 जवान पोतियों को मुसलमान मेरे सामने उठा ले गए फिर भी आप कहते हैं सब भुला दूं।" नेहरू ये सुनकर वहां से इंदिरा को साथ लेकर निकल गए। -अश्व घोष की पुस्तक "द कुरान एंड द काफिर" के अंश

कौन था मुन्ना बजरंगी

मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है. उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था. उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे. मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया. उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी. किशोर अवस्था तक आते आते उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे. मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था. वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था. यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया. जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा. वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया. अस्सी के दशक में की थी पहली हत्या मुन्ना अपराध की दुनिया में अपनी पहचान बनाने की कोशिश में लगा था. इसी दौरान उसे जौनपुर के स्थानीय दबंग माफिया गजराज सिंह का संरक्षण हासिल हो गया. मुन्ना अब उसके लिए काम करने लगा था. इसी दौरान 1984 में मुन्ना ने लूट के लिए ए

पुर्तगाल वर्ल्ड कप से बाहर, उरुग्वे ने 2-1 से हराया

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स्टार फॉरवर्ड क्रिस्टियानो रोनाल्डो के नेतृत्व वाली पुर्तगाल टीम शनिवार को फीफा वर्ल्ड कप 2018 से बाहर हो गई है। उरुग्वे ने दूसरे नॉवकआउट मैच में पुर्तगाल को 2-1 से हराया औक क्वार्टरफाइनल में प्रवेश कर लिया है। उरुग्वे के लिए दोनों गोल स्ट्राइकर कवानी ने मारे। सोचि के फिश्ट स्टेडियम में रोनााल्डो की टीम का वर्ल्ड कप सफर खत्म हो गया। अर्जेंटीना के बाद लगातार दूसेर नॉकआउट में बाहर होन वाली ये दूसरी बड़ी टीम है। इस में रोनाल्डो अपना जादू नहीं दिखा सके और एक भी गोल नहीं मार पाए। पुर्तगाल के लिए इकलौता गोल पेपे ने किया। उरुग्वे पहले हाफ से ही पुर्तगाल के खिलाफ काफी आक्रामक खेल रही थी। इसी के चलते उरुग्वे के लिए फॉर्म में चल रहे स्ट्राइकर कवानी ने 7वें मिनट में शानदार हेडर मारकर पहला गोल कर दिया। इसके साथ ही शुरुआत में ही पुर्तगाल की टीम 0-1 से पिछड़ गई। इसके बाद पहला हाफ खत्म होने तक उरुग्वे 1-0 की लीड पर रही। फिर दूसरे हाफ में पुर्तगाल ने शानदार वापसी करती हुए बराबरी कर ली। पुर्तगाल के स्ट्राइकर पेपे ने 55वें मिनट में शानदार हेडर मारकर टीम के लिए पहला गोल किया। इसी के साथ पुर्तग