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Showing posts from March, 2018

April fool अप्रैल फूल की वास्तविकता

अप्रैल फूल की वास्तविकता "अप्रैल फूल" कहने से पहले इसकी वास्तविक सत्यता जरुर जान ले.!! पावन महीने की शुरुआत को मूर्खता दिवस कह रहे हो क्यों कहते है अप्रैल फूल (इसका अर्थ है - हिन्दुओ का मूर्खता दिवस) ये नाम अंग्रेज ईसाईयों की देन है… मुर्ख हिन्दू कैसे समझें "अप्रैल फूल" का मतलब बड़े दिनों से बिना सोचे समझे चल रहा है अप्रैल फूल, अप्रैल फूल मतलब क्या है इसका ? दरअसल जब ईसाइयत अंग्रेजो द्वारा हमे 1 जनवरी का नववर्ष थोपा गया तो उस समय लोग विक्रमी संवत के अनुसार 1 अप्रैल से अपना नया साल बनाते थे, जो आज भी सच्चे हिन्दुओ द्वारा मनाया जाता है, आज भी हमारे बही खाते और बैंक 31 मार्च को बंद होते है और 1 अप्रैल से शुरू होते है, पर उस समय जब भारत गुलाम था तो ईसाइयत ने विक्रमी संवत का नाश करने के लिए साजिश करते हुए 1 अप्रैल को मूर्खता दिवस "अप्रैल फूल" का नाम दे दिया ताकि हमारी सभ्यता मूर्खता लगे अब आप ही सोचो अप्रैल फूल कहने वाले कितने सही हो आप.? याद रखो अप्रैल माह से जुड़े हुए इतिहासिक दिन और त्यौहार 1. हिन्दुओं का पावन महिना इस दिन से शुरू होता है (

तीन विरोधाभास का ट्रेंड

आजकल तीन विरोधाभास का ट्रेंड चल रहा हैं - पहला -- भारत एक गरीब देश है इसलिए बुलट ट्रैन नही चाहिए परन्तु भारत इतना अमीर है कि लाखो रोहिंग्या को पाल सकता है। दूसरा -- देश मे GST का विरोध दिखता है किन्तु जनसंख्या बढ़ने का विरोध कभी देखा होगा ? मजाक की बात तो यह है की 2 बच्चे वाले टैक्स देते है, तथा दस वाले सब्सिडी लेते है । तीसरा-- मस्जिद की तरफ़ से देश के 56 बडे महँगे वकील और मंदिर की तरफ से अकेले सुब्रामनयम स्वामी!!

Modi v/s All

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Modi v/s All मोदी जी को हिंदू और मुसलमान दोनों हटाना चाहते हैं, किंतु दोनों के बीच अंतर देखिये : हिन्दू पेट्रोल का दाम देख रहा है और मुसलमान रोहिंग्या मुसलमान को ! हिन्दू जीएसटी से रूठे हैं और कांग्रेस को लाना चाहते हैं और मुसलमान भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाना चाहते हैं, इसलिए कांग्रेस को लाना चाहते हैं ! कारण जो भी हो उद्देश्य सबका एक ही है ! भारत में बहुत से लोग हैं, जो भ्रष्ट नेताओं की बातों में आकर नरेन्द्र मोदी का विरोध करते हैं ! अच्छा है, लोकतंत्र है विरोध करें या समर्थन ये तो आपका अपना हक है, पर मोदी का विरोध करके आप समर्थन किसका कर रहे हैं, ये बडा गंभीर सवाल है, इसलिए निर्णय भी गंभीर ही होना चाहिये ! क्या मुलायम, लालू, मायावती, सोनिया, राहुल, केजरीवाल, ममता बनर्जी, वामपंथी ये सब नरेन्द्र मोदी से बेहतर हैं या इनका रिकॉर्ड बेहतर है ? क्या नरेन्द्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्रीकाल की तुलना मे ममता बनर्जी, अखिलेश आदि का कार्यकाल बेहतर नजर आता है ? तुलना करनी है तो गुजरात के किसी छोटे शहर मे जाकर एक नजर मार लीजिये और फिर इन अन्य राज्यों की राजधानी का भ्रमण कीजिये !

भेड़चाल और सकारात्मकता

एक चुहा पेड़ की चोटी पर चढ़ने का सोचता है और आगे बढ़ता है बाकी के सारे चुहे शोर मचाने लगते हैं "ये असंभव है.  आज तक कोई नहीं चढ़ा.  ये असंभव है... नहीं चढ़ पाओगे"... मगर चुहा आख़िर पेड़ की चोटी पर पहुँच ही जाता है. जानते हैं क्यूँ ? क्योंकि वो चुहा "बहरा" होता है. और सारे चुहो को चिल्लाते देख सोचता है कि सारे उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं इसलिए अगर आपको अपने लक्ष्य पर पहुंचना है तो नकारात्मक लोगों के प्रति "बहरे" हो जाइए. आगे बड़ते जाओ सफलता आपके कदम चुमेगी लोगो का काम है कहना वो तो कहेंगे ही. लेकिन अगर आप उनकी बातों को सून कर रुक गए तो आप अपनी मंजिल तक कभी नहीं पहूँच सकेंगे