Posts

Showing posts from April, 2018

बिहारी जी का चमत्कार

Image
    एक शख्स गाड़ी से उतरा और बड़ी तेज़ी से एयरपोर्ट मे घुसा , जहाज़ उड़ने के लिए तैयार था , उसे किसी कांफ्रेंस मे पहुंचना था जो खास उसी के लिए  आयोजित की जा रही थी वह अपनी सीट पर बैठा और जहाज़ उड़ गया अभी कुछ दूर ही जहाज़ उड़ा था कि कैप्टन ने ऐलान किया  , तूफानी बारिश और बिजली की वजह से जहाज़ का रेडियो सिस्टम ठीक से काम नही कर रहा इसलिए हम क़रीबी एयरपोर्ट पर उतरने के लिए मजबूर हैं.। जहाज़ उतरा वह बाहर निकल कर कैप्टन से शिकायत करने लगा कि उसका एक - एक मिनट क़ीमती है और होने वाली कांफ्रेस मे उसका पहुचना बहुत ज़रूरी है पास खड़े दूसरे मुसाफिर ने उसे पहचान लिया और बोला डॉक्टर पटनायक  आप जहां पहुंचना चाहते हैं टैक्सी द्वारा यहां से केवल तीन घंटे मे पहुंच सकते हैं उसने शुक्रिया अदा किया और टैक्सी लेकर निकल पड़ा... लेकिन ये क्या आंधी , तूफान , बिजली , बारिश ने गाड़ी का चलना मुश्किल कर दिया , फिर भी ड्राइवर चलता रहा... अचानक ड्राइवर को एह़सास हुआ कि वह रास्ता भटक चुका है... ना उम्मीदी के उतार चढ़ाव के बीच उसे एक छोटा सा घर दिखा इस तूफान मे वही ग़नीमत समझ कर गाड़ी से नीचे उतरा और दरवाज़ा खटखटाया.... आव

सोमनाथ मंदिर के लिए डा. राजेंद्र प्रसाद को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी

Image
जवाहल लाल नेहरू सोमनाथ मंदिर के पक्ष में नहीं थे. महात्मा गांधी जी की सहमति से सरदार पटेल ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का काम शुरु किया था| पटेल की मौत के बाद मंदिर की जिम्मेदारी के एम मुंशी पर आ गई. मुंशी नेहरू की कैबिनेट के मंत्री थे. गांधी और पटेल की मौत के बाद नेहरू का विरोध और तीखा होने लगा था. एक मीटिंग में तो उन्होंने मुंशी की फटकार भी लगाई थी. उन पर हिंदू-रिवाइवलिज्म और हिंदुत्व को हवा देने का आरोप भी लगा दिया. लेकिन, मुंशी ने साफ साफ कह दिया था कि सरदार पटेल के काम को अधूरा नहीं छोड़ेगे. के एम मुंशी भी गुजराती थे इसलिए उन्होंने सोमनाथ मंदिर बनवा के ही दम लिया. फिर उन्होंने मंदिर के उद्घाटन के लिए देश के पहले राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद को न्यौता दे दिया. उन्होंने इस न्यौते को बड़े गर्व से स्वीकार किया लेकिन जब जवाहर लाल नेहरू की इसका पता चला तो वे नाराज हो गए. उन्होंने पत्र लिख कर डा. राजेंद्र प्रसाद को सोमनाथ जाने से मना कर दिया. राजेंद्र बाबू भी तन गए. नेहरू की बातों को दरकिनार कर वो सोमनाथ गए और जबरदस्त भाषण दिया था. जवाहर लाल नेहरू को इससे जबरदस्त झटका लगा.

लड़कीयाँ ज़रूर पड़े ( बाबू मैं प्रेग्नेन्ट हूँ )

Image
गर्ल - बाबू यह क्या कर रहे हो Boy - शादी के बाद जो पति करता है अपनी पत्नी के साथ Girl - तो अभी क्यो Boy - तो मैं क्या गलत कर रहा हूँ जो शादी के बाद करते है वो मैं पहले कर रहा हूँ .. मैं तुम्हारा पति हूँ मेरा हक़ है.. शादी से पहले Girl - यह अच्छी बात नही.. पर अपनी शादी तो नही हुई ना Boy - तू सोच रही है ना मैं टाइम पास कर रहा हूँ मैं तुझे अपनी पत्नी समझता हूँ ओके मैं आज के बाद तुझे टच भी नही करूँगा Girl - बाबू सोरी, मैं तुम्हारी हूँ. मुझ पर सिर्फ तुम्हारा ही अधिकार है. जो चाहे वो कर सकते हो.. सोरी Boy - Thankyou my sweet wife.. 2 महीने के बाद Girl - बाबू मैं प्रेग्नेन्ट हूँ Boy - क्या Girl - प्लीज मुझसे शादी कर लो Boy - पागल हो गयी हो क्या ? अभी नही कर सकता शादी.. मैं जोब भी नहीं करता..एक काम करो हॉस्पिटल जाकर Abortion करवा लेते हैं .. Girl - नहीं एक मां अपनी ही बच्ची को नही मार सकती Boy - ठीक है यह डिसाइड कर लो तुम्हें यह किसी और का बच्चा चाहिए या मैं Girl - क्या किसी और का बच्चा ? वाव बहुत अच्छा यह ही सुनना बाकी रह गया था Boy - और नही

जिंदगी बचाने के तरीके:

जिंदगी बचाने के तरीके: 1. गले मे कुछ फस जाए - तब केवल अपनी भुजाओं को ऊपर उठाएं। 2. क्या आपको सुबह उठते वक्त शरीर मे दर्द होता है ? क्या आपको सुबह उठते वक्त गर्दन में दर्द और अकड़न महसूस होती है ? यदि आपको ये सब होता है तो आप क्या करे ? तब आप अपने पांव ऊपर उठाएं। अपने पांव के अंगूठे को बाहर की तरफ खेचे और धीरे धीरे उसकी मालिश करे और घड़ी की दिशा में एवं घड़ी की विपरीत दिशा में घुमाए। 3. पांव में आने वाले बॉयटा या ऐठन यदि आपके बाए पांव में बॉयटा आया है तो अपने दाए हाथ को जितना ऊपर उठा सकते है उठाये। यदि ये बॉयटा आपके दाए पांव में आया है तो आप अपने बाए हाथ को जितना ऊपर ले जा सकते है ले जाये। इससे आपको तुरंत आराम आएगा। 4. पांव का सुन्न होना यदि आपका बाया पांव सुन्न होता है तो अपने दाएं हाथ को जोर से बाहर की ओर झुलाये या झटके दे। यदि आपका दाया पांव सुन्न है तो अपने बाया हाथ को जोर से बाहर की ओर झुलाये या झटका दे। 5. (ह्रदय की तीन बीमारी मे बचाव के तरीके) आधे शरीर मे लकवा - (इस बात की परवाह किये बिना की ये मस्तिकाघात से है या रक्त वाहिका की रुकावट की वजह से है) आधे चेहर

लू के लक्षण तथा बचाव के उपाय

लूः-   लक्षण तथा बचाव के उपाय गर्मी के दिनों में जो हवा चलती है उसे लू कहते हैं। लक्षणः-  लू लगने से चेहरा लाल हो जाता है, नब्ज तेज चलने लगती है। साँस लेने में कष्ट होता है, त्वचा शुष्क हो जाती है। *प्यास अधिक लगती है। कई बार सिर और गर्दन में पीड़ा होने लगती है। कभी-कभी प्राणी मूर्च्छित भी हो जाता है तथा उसकी मृत्यु भी हो सकती है। उपायः - लू चलने के दिनों में पानी अधिक पीना चाहिए। सुबह 700 मि.ली. से सवा लीटर पानी पीने वालों को लू लगने की संभावना नहीं होती। घर से बाहर जाते समय कानों को रूमाल से ढँक लेना चाहिए। जब गर्मी अधिक पड़ रही हो तब मोटे, सफेद और ढीले कपड़े पहनने चाहिए। दिन में दो बार नहाना चाहिए। एक सफेद प्याज (ऊपर का छिलका हटाकर) हमेशा साथ रखने से लू लगने की संभावना नहीं रहती। प्याज और पुदीना लू लगने के खतरे से रक्षा करते हैं। घर से बाहर जाने से पहले पानी या छाछ पीकर निकलने से लू नहीं लगती। नींबू का शरबत पीना हितकर होता है। लू व गर्मी से बचने के लिए रोजाना शहतूत खायें। पेट, गुर्दे और पेशाब की जलन शहतूत खाने से दूर होती है। यकृत और आँतों के घाव ठीक होते हैं। नित्य शह

धनिया की पत्तियां और पार्सनीयम पत्तियां

Image
धनिया की पत्तियां और पार्सनीयम पत्तियां पहली तस्वीर (जिस पर 1 लिखा है) धनिया पत्ती है, दूसरी फोटो (जिस पर 2 लिखा है) खतरनाक पार्सनीयम की पत्ती है । जब भी हम धनिया खरीदते हैं, तो धनिया पत्तियों के साथ कई बार पार्सनीयम की पत्तियां मिलेगी। अपने परिवार के सदस्यों  को जागरूक करें ताकि इस पार्सनीयम पत्तियों को छांटकर अलग करें।  यदि आप इस  पार्सनीयम के पत्ते को बहुत ज्यादा खा लेते हैं, तो आपको त्वचा बीमारी, अस्थमा, गले में दर्द, गुर्दा की समस्याएं  हो सकती हैं।

कभी घमंड मत करो

Image
एक पढ़ा-लिखा व्यक्ति नाव में सवार हुआ। वह घमंड से भरकर नाविक से पूछने लगा, ‘‘क्या तुमने व्याकरण पढ़ा है, नाविक?’’ नाविक बोला, ‘‘नहीं।’’ व्यक्ति ने कहा, ‘‘अफसोस है कि तुमने अपनी आधी उम्र यूँ ही गँवा दी!’’ थोड़ी देर बाद में उसने फिर नाविक से पूछा, “तुमने इतिहास व भूगोल पढ़ा ?” नाविक ने फिर सिर हिलाते हुए ‘नहीं’ कहा। दंभी ने कहा, “फिर तो तुम्हारा पूरा जीवन ही बेकार गया।“ मांझी को बड़ा क्रोध आया। लेकिन उस समय वह कुछ नहीं बोला। दैवयोग से वायु के प्रचंड झोंकों ने नाव को भंवर में डाल दिया। नाविक ने ऊंचे स्वर में उस व्यक्ति से पूछा, ‘‘महाराज, आपको तैरना भी आता है कि नहीं ?’’ सवारी ने कहा, ‘‘नहीं, मुझे तैरना नही आता।’’ “फिर तो आपको अपने इतिहास, भूगोल को सहायता के लिए बुलाना होगा वरना आपकी सारी उम्र बर्बाद होने वाली है क्योंकि नाव अब भंवर में डूबने वाली है।’’ यह कहकर नाविक नदी में कूद तैरता हुआ किनारे की ओर बढ़ गया। मनुष्य को किसी एक विद्या या कला में दक्ष हो जाने पर गर्व नहीं करना चाहिए।

अनमोल दौलत

Image
एक राजा था जिसने ने अपने राज्य में क्रूरता से बहुत सी दौलत इकट्ठा करके आबादी से बाहर जंगल एक सुनसान जगह पर बनाए तहखाने मे सारे खजाने को खुफिया तौर पर छुपा दिया था खजाने की सिर्फ दो चाबियां थी एक चाबी राजा के पास और एक उसके एक खास मंत्री के पास थी इन दोनों के अलावा किसी को भी उस खुफिया खजाने का राज मालूम ना था एक रोज़ किसी को बताए बगैर राजा अकेले अपने खजाने को देखने निकला , तहखाने का दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हो गया और अपने खजाने को देख देख कर खुश हो रहा था , और खजाने की चमक से सुकून पा रहा था . उसी वक्त मंत्री भी उस इलाके से निकला और उसने देखा की खजाने का दरवाजा खुला है वो हैरान हो गया और ख्याल किया कि कही कल रात जब मैं खजाना देखने आया तब शायद खजाना का दरवाजा खुला रह गया होगा, उसने जल्दी जल्दी खजाने का दरवाजा बाहर से बंद कर दिया और वहां से चला गया  . उधर खजाने को निहारने के बाद राजा जब संतुष्ट हुआ , और दरवाजे के पास आया तो ये क्या ...दरवाजा तो बाहर से बंद हो गया था . उसने जोर जोर से दरवाजा पीटना शुरू किया पर वहां उनकी आवाज सुननेवाला उस जंगल में कोई ना था . राजा चिल्लाता रहा , पर

"माता अंजना को कैसे मिली मुक्ति वानर अवतार से"

ब्रह्मा जी के महल में हजारों सेविकाएं थीं, जिनमें से एक थीं अंजना। अंजना की सेवा से प्रसन्न होकर ब्रह्मा ने उन्हें मनचाहा वरदान मांगने को कहा। अंजना ने हिचकिचाते हुए उनसे कहा - कि "उन पर एक तपस्वी साधु का श्राप है , अगर हो सके तो उन्हें उससे मुक्ति दिलवा दें"। ब्रह्मा ने उनसे कहा -  कि "वह उस श्राप के बारे में बताएं,  क्या पता वह उस श्राप से उन्हें मुक्ति दिलवा दें"। अंजना ने उन्हें अपनी कहानी सुनानी शुरू की। अंजना ने कहा -  " बालपन में जब मैं खेल रही थी तो मैंने एक वानर को तपस्या करते देखा, मेरे लिए यह एक बड़ी आश्चर्य वाली घटना थी,  इसलिए मैंने उस तपस्वी वानर पर फल फेंकने शुरू कर दिए। बस यही मेरी गलती थी, क्योंकि वह कोई आम वानर नहीं बल्कि एक तपस्वी साधु थे। मैंने उनकी तपस्या भंग कर दी और क्रोधित होकर उन्होंने मुझे श्राप दे दिया, कि जब भी मुझे किसी से प्रेम होगा तो मैं वानर बन जाऊंगी"। मेरे बहुत गिड़गिड़ाने और माफी मांगने पर उस साधु ने कहा - कि "मेरा चेहरा वानर होने के बावजूद उस व्यक्ति का प्रेम मेरी तरफ कम नहीं होगा" । अपनी कहानी सुनाने के ब

फ्री की रोटी

Image
अमेरिका के बाजारों में लोहे की जंजीरों में जकड़े, गले में पट्टा पहनकर जानवरों की तरह महज सौ साल पहले बिकने वाले निग्रो, बगैर किसी आरक्षण के व्हाइट हाउस तक पहुंच गये और ओपरा विनफ्रे जैसी तमाम हस्तियां मीडिया में किंग बन गई... हॉलीवुड पर विल स्मिथ जैसे तमाम नीग्रो का कब्जा है, अमेरिका के 30% जज नीग्रो है... . करीब 40% पुलिस और 32% आर्मी नीग्रो है... अमेरिका के 12 स्टेट के गवर्नर नीग्रो हैं. . अमेरिका के यह लोग कैसे इतने आगे पहूँच गए ? क्योंकि इन्होने जो किया अपने दम पर बिना किसी की मदद से किया, और आज इन लोगो पर कोई ऊंगली तक नहीं उठा सकता , गर्व है ऐसे लोगो पर और हमारे देश में सबसे पहले महाग्रंथ लिखने वाले वाल्मीकि महान संत रविदास, समाज सुधारक ज्योतिबा फुले, रानी झलकारी देवी और राजा सुहेलदेव संविधान लेखक और आठ विषय मे डाक्टरेक्ट डॉक्टर बाबा साहब के वंशज चन्द समाज के लोगो के बहकावे पर और फ्री की रोटी की आस में, अभी तक इसी झूठ पर ही रोते हैं कि उनको लिखने पढ़ने नहीं दिया गया. इनक्रेडिबल इंडिया इसी को कहते हैं !

Salman Khan - हिरण ही नहीं रविन्द्र पाटिल भी मरा था तड़प तड़प कर, आखिर कौन था वो ?

Image
व्यक्तिगत रूप से मुझे सलमान से कोई रंजिश नहीं।।। मैं ये भी मानता हूं कि सलमान एक बहुत अच्छे इंसान बन चुके हैं।।।पर कर्मों का फल भुगतने से स्वयं ईश्वर नहीं बच पाये थे,सलमान तो फिर भी इंसान हैं।।। Salman Khan के चलते सिर्फ हिरण ही नहीं रविन्द्र पाटिल भी मरा था तड़प तड़प कर. आखिर कौन था वो ? आज सलमान को सजा होने के बाद याद आने लगा वो चेहरा .. रविन्द्र पाटिल- एक ऐसा गवाह था जिसने सलमान को गाड़ी चलाते और गरीबो पर गाडी चढ़ाते देखा था। वो एक कांस्टेबल था। उसने कभी अपना बयान नहीं बदला। बेचारे को बयान बदलने के लिए करोडो के लालच दिए गए, पुलिस और नेताओ का बहुत दबाव बनाया गया, नौकरी से हटा दिया गया और जैल में भी रखा गया मगर इस ईमानदार और खुद्दार आदमी ने कभी अपना बयान नहीं बदला। बेचारे को अपनी जान बचाने के लिए अपने घर परिवार को छोड़कर मुम्बई से भागना पड़ा। चोरी छुपे घरवालो से मिलना पड़ता था। सलमान एक ऐसा नाम था जिसके फैन और लिंक हर कहीं थे , अंडरवर्ड से ले कर पुलिस विभाग तक .. रविन्द्र तो मौत की हद तक प्रताड़ना दी गयी थी जिसके चलते उसकी जिन्दगी तबाह हो गयी . इन तमाम घटनाओं के बाद अपने बयान पर अट

ब्रह्मा जी का गुस्सा

Image
संसार के सबसे बड़े 3 देवताओं में से एक ब्रह्माजी धरती पर भ्रमण करने निकले थे। सभी जीवचर उनके दर्शनों के अभिलाषी थे। इस कारण जैसे ही उनके आने की सूचना मिली, संसार के सभी प्राणी उनके जोरदार स्वागत की तैयारी में लग गए। कोई सुंदर सुगंधित मालाएं गूथने लगा तो कोई मीठे-मीठे फल-कंद और शहद एकत्रित करने लगा। जंगली जानवरों को इस बात की भनक लगी तो वे भी ब्रह्माजी के स्वागत की तैयारी करने लगे। जंगल के राजा शेरसिंह ने आदेश पारित कर दिया कि जंगल के सभी जानवरों को ब्रह्माजी के स्वागत के लिए अनिवार्यत: उपस्थित रहना पड़ेगा। समय कम था इस कारण शेरसिंह ने सभी बड़े जानवरों को बुलाकर समझाया कि एक जानवर दूसरे जानवर को और दूसरा जानवर तीसरे जानवर को इस तरह सूचित करे कि जंगल के छोटे से छोटे जानवर को भी यह समाचार प्राप्त हो जाए कि ब्रह्माजी का स्वागत करना है और उपस्थिति अनिवार्य है। ब्रह्माजी सुबह 6 बजे निकलने वाले थे इससे शेरसिंह ने सबको 5.30 बजे हाजिर होकर पंक्तिबद्ध होकर उनका स्वागत करने की योजना तैयार कर ली थी। सभी जानवर एक-दूसरे को सूचना दे रहे थे ताकि कोई छूट न जाए। यथासमय ब्रह्माजी अपने रथ पर सवा

इंसानों के बीच छिपे हुए गिद्ध

Image
एक गिद्ध का बच्चा अपने माता-पिता के साथ रहता था। एक दिन गिद्ध का बच्चा अपने पिता से बोला- "पिताजी, मुझे भूख लगी है।'' "ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर। मैं अभी भोजन लेकर आता हूँ ।'' कहते हुए गिद्ध उड़ने को उद्धत होने लगा। तभी उसके बच्चे ने उसे टोक दिया, "रूकिए पिताजी, आज मेरा मन इन्सान का गोश्त खाने का कर रहा है।'' "ठीक है, मैं देखता हूं।'' कहते हुए गिद्ध ने चोंच से अपने पुत्र का सिर सहलाया और बस्ती की ओर उड़ गया। बस्ती के पास पहुंच कर गिद्ध काफी देर तक इधर-उधर मंडराता रहा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली। थक-हार का वह सुअर का गोश्त लेकर अपने घोंसले में पहुंचा। उसे देख कर गिद्ध का बच्चा बोला, "पिताजी, मैं तो आपसे इन्सान का गोश्त लाने को कहा था, और आप तो सुअर का गोश्त ले आए ?'' पुत्र की बात सुनकर गिद्ध झेंप गया। वह बोला, "ठीक है, तू थोड़ी देर प्रतीक्षा कर।'' कहते हुए गिद्ध पुन: उड़ गया। उसने इधर-उधर बहुत खोजा, पर उसे कामयाबी नहीं मिली। अपने घोंसले की ओर लौटते समय उसकी नजर एक मरी हुई गाय पर

प्रारब्ध (सच्ची साधना )

Image
    एक व्यक्ति हमेशा ईश्वर के नाम का जाप किया करता था । धीरे धीरे वह काफी बुजुर्ग हो चला था इसीलिए एक कमरे मे ही पड़ा रहता था ।                  जब भी उसे शौच; स्नान आदि के लिये जाना होता था; वह अपने बेटो को आवाज लगाता था और बेटे ले जाते थे ।                   धीरे धीरे कुछ दिन बाद बेटे कई बार आवाज लगाने के बाद भी कभी कभी आते और देर रात तो नहीं भी आते थे।इस दौरान वे कभी-कभी गंदे बिस्तर पर ही रात बिता दिया करते थे               अब और ज्यादा बुढ़ापा होने के कारण उन्हें कम दिखाई देने लगा था एक दिन रात को निवृत्त होने के लिये जैसे ही उन्होंने आवाज लगायी, तुरन्त एक लड़का आता है और बडे ही कोमल स्पर्श के साथ उनको निवृत्त करवा कर बिस्तर पर लेटा जाता है । अब ये रोज का नियम हो गया ।                   एक रात उनको शक हो जाता है कि, पहले तो बेटों को रात में कई बार आवाज लगाने पर भी नही आते थे। लेकिन ये  तो आवाज लगाते ही दूसरे क्षण आ जाता है और बडे कोमल स्पर्श से सब निवृत्त करवा देता है ।     एक रात वह व्यक्ति उसका हाथ पकड लेता है और पूछता है कि सच बता तू कौन है ? मेरे बेटे तो ऐसे नही है

गलत फैसला

Image
एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गये! हंसिनी ने हंस को कहा कि ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं ? यहाँ न तो जल है, न जंगल और न ही ठंडी हवाएं हैं यहाँ तो हमारा जीना मुश्किल हो जायेगा ! भटकते भटकते शाम हो गयी तो हंस ने हंसिनी से कहा कि किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे ! रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था। वह जोर से चिल्लाने लगा। हंसिनी ने हंस से कहा- अरे यहाँ तो रात में सो भी नहीं सकते। ये उल्लू चिल्ला रहा है। हंस ने फिर हंसिनी को समझाया कि किसी तरह रात काट लो, मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूँ है ?? ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही। पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था। सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और उसने कहा कि हंस भाई, मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ करदो। हंस ने कहा- कोई बात नही भैया, आपका धन्यवाद! यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा पीछे से उल्

भेडचाल : अपने निर्णय स्वयं ले

Image
एक दिन की बात है मैं रेलवे स्टेशन पर खड़ा था और ट्रेन का इंतजार कर रहा था| जिस ट्रेन का मैं इंतज़ार कर रहा था उसमें आरक्षण का कोई सिस्टम नहीं था| प्लेटफ़ॉर्म पर इतनी भीड़ थी ज़िससे यह बात स्पष्ट थी कि जगह उसी को मिलेगी जो भीड़ को पछाड़ कर सबसे पहले ट्रेन में चढ़ेगा|  तभी घोषणा हुयी – “अजमेर को जाने वाली गाड़ी 50 मिनट की देरी से प्लेटफार्म नम्बर 1 पर आएगी|” इस घोषणा के बाद सभी यात्री आराम से बैठ गए एंव कुछ व्यक्ति नींद की मीठी मीठी झपकियाँ ले रहे थे| कुछ ही मिनट बाद एक व्यक्ति उठकर पश्चिम की तरफ आगे बढ़ा जहाँ से ट्रेन आने वाली थी| तभी कुर्सी पर बैठे एक व्यक्ति ने अपने पास बैठे मित्र से कहा “देखो वह व्यक्ति आगे गया है, शायद ट्रेन आ गयी जल्दी चलो नहीं तो जगह नहीं मिलेगी|” ऐसा कहकर वह दोनों व्यक्ति आगे की तरफ भागे जहाँ पर ट्रेन आकर रूकती है| उन दोनों व्यक्तियों को भागते हुए देख, आराम से बैठी भीड़ में हलचल हुयी तथा भीड़ भी उठकर आगे की तरफ चली गयी जहाँ ट्रेन आकर रूकती है| भीड़ को देखकर मैं भी आगे बढ़ गया| आगे जाकर पता चला कि ट्रेन नहीं आयी है| सबसे पहले जो व्यक्ति आगे की तरफ गया था वो तो ऐसे ह

कर्माबाई की खिचड़ी

Image
भक्त और भगवान जब सच्चे भक्त पर जब जब विपदा आती है  जब-जब भक्त की परीक्षा होती है तो खुद भगवान परीक्षा देने चले आते हैं और उस भक्त का मान बचाते हैं जय श्री कृष्णा राधे राधे प्रभु के हाथ माँ को अर्पित - श्री जगन्नाथ जी की लोकप्रिय कथा  . लगभग एक हजार वर्ष पूर्व झांसी उत्तर प्रदेश में श्री रामशाह प्रतिष्ठित तेल व्यापारी थे| वे एक समाज सुधारक, दयालु, धर्मात्मा एवं परोपकारी व्यक्ति थे| उनकी पत्नी को शुभ नक्षत्र, मे चैत्र माह के क्रष्ण-पक्ष की एकादशी को संवत 1073 विक्रम में एक कन्या का जन्म हुआ| विद्धान पण्डितो दूारा कन्या की जन्मपत्री बनाई गई| पण्डितो ने ग्रह, नक्षत्र का शोधन करके कहा- राम शाह तुम बहुत ही भाग्यवान हो जो ऐसी गुणवान कन्या ने तुम्हारे यहां जन्म लिया है| वह भगवान् की उपासक बनेगी| शास्त्रानुसार पुत्री का नाम कर्माबाई रखा गया| बाल्यावस्था से ही कर्मा जी को धार्मिक कहानिया सुनने की अधिक रुचि हो गई थी| यह भक्ति भाव मन्द-मन्द गति से बढता गया| कर्मा जी के विवाह योग्य हो जाने पर उसका सम्बंध नरवर ग्राम के प्रतिष्ठित व्यापारी के पुत्र के साथ कर दिया गया| पति सेवा के पश

आधुनिक युग में वेदों का महत्व

आज के आधुनिक युग में वेदों का महत्व कुछ लोग वेदों के ज्ञान को समझे बिना ही उन्हें आज के समय के लिए व्यर्थ मान लेते हैं। किन्तु सच तो यह है कि वेद भगवान् की वाणी है जिसे स्वयं भगवान् ने सृष्टि के प्रारम्भ में हमारे लाभ के लिए हमें दिया है। वेदों का ज्ञान पूर्ण है और इसे अपौरुषेय भी कहा जाता है अर्थात् जिसकी रचना मनुष्यों ने नहीं की है। इनका उद्देश्य हमें इस भौतिक जगत् के दु:खों से छुटकारा दिलाकर शाश्वत् जगत् का परम सुख प्रदान करना है। आज के युग में विज्ञान ने बहुत अधिक प्रगति की है किन्तु क्या लोगों की सभी समस्याएँ समाप्त हो गई हैं। यदि ध्यान से देखा जाए तो शारीरिक समस्याओ जैसे कि बीमारियों की संख्या में वृद्धि ही हुई है। और मानसिक समस्याओ का तो कहना ही क्या ? मानसिक समस्याएँ आने वाले समय के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई हैं और विज्ञान के पास इनसे लड़ने के लिए कोई उपाय नहीं है। इन शारीरिक एवं मानसिक समस्याओ से छुटकारा पाने के लिए पूरे विश्व में लोग योग, आयुर्वेद, मंत्र ध्यान, शाकाहार और अनेक भारतीय संस्कृति से जुड़ी हुई तकनीकों का सहारा ले रहे हैं। यह कहना कि आधुनिक प्रगति के इस युग

एक चुटकी ज़हर रोजाना

पूनम नामक एक युवती का विवाह हुआ और वह अपने पति और सास के साथ अपने ससुराल में रहने लगी। कुछ ही दिनों बाद आरती को आभास होने लगा कि उसकी सास के साथ पटरी नहीं बैठ रही है। सास पुराने ख़यालों की थी और बहू नए विचारों वाली। पूनम और उसकी सास का आये दिन झगडा होने लगा। दिन बीते, महीने बीते. साल भी बीत गया. न तो सास टीका-टिप्पणी करना छोड़ती और न पूनम जवाब देना। हालात बद से बदतर होने लगे। आरती को अब अपनी सास से पूरी तरह नफरत हो चुकी थी. पूनम के लिए उस समय स्थिति और बुरी हो जाती जब उसे भारतीय परम्पराओं के अनुसार दूसरों के सामने अपनी सास को सम्मान देना पड़ता। अब वह किसी भी तरह सास से छुटकारा पाने की सोचने लगी. एक दिन जब पूनम का अपनी सास से झगडा हुआ और पति भी अपनी माँ का पक्ष लेने लगा तो वह नाराज़ होकर मायके चली आई। पूनम के पिता आयुर्वेद के डॉक्टर थे. उसने रो-रो कर अपनी व्यथा पिता को सुनाई और बोली – “आप मुझे कोई जहरीली दवा दे दीजिये जो मैं जाकर उस बुढ़िया को पिला दूँ नहीं तो मैं अब ससुराल नहीं जाऊँगी…” बेटी का दुःख समझते हुए पिता ने पूनम के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहा – “बेटी, अगर त

मुझे रोज सत्संग की क्या जरूरत है

मुझे रोज सत्संग की क्या जरूरत है..         एक बार एक युवक संत के पास आया और कहने लगा , ‘'गुरू महाराज ! मैंने अपनी शिक्षा से पर्याप्त ज्ञान ग्रहण कर लिया है । मैं विवेकशील हूं और अपना अच्छा-बुरा भली-भांति समझता हूं , किंतु फिर भी मेरे माता-पिता मुझे निरंतर सत्संग की सलाह देते रहते हैं । जब मैं इतना ज्ञानवान और विवेकयुक्त हूं, तो मुझे रोज सत्संग की क्या जरूरत है ?'’          संत ने उसके प्रश्न का मौखिक उत्तर न देते हुए एक हथौड़ी उठाई और पास ही जमीन पर गड़े एक खूंटे पर मार दी । युवक अनमने भाव से चला गया ।         अगले दिन वह फिर संत के पास आया और बोला, " मैंने आपसे कल एक प्रश्न पूछा था, किंतु अापने उत्तर नहीं दिया । क्या आज आप उत्तर देंगे ?" संत ने पुन: खूंटे के ऊपर हथौड़ी मार दी। किंतु बोले कुछ नहीं । युवक ने सोचा कि संत हैं, शायद आज भी मौन में हैं ।        वह तीसरे दिन फिर आया और अपना प्रश्न दोहराया । संत ने फिर से खूंटे पर हथौड़ी चलाई । अब युवक परेशान होकर बोला, ‘'आखिर आप मेरी बात का जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं ? मैं तीन दिन से आपसे प्रश्न पूछ रहा हूं ।’'

संसार में सुखी कौन है

एक बार एक राजा विदेश को गया। जब उसने वापस देश लौटने का विचार बनाया तो घर में अपनी चारों रानियों को अलग-अलग पत्र लिखकर पूछा कि विदेश से उनकी आवश्यकता की कौन सी वस्तु उनके लिए लाई जाय? उनमें से तीन रानियों ने अपने पसंद की वस्तु लिखकर वापस राजा के पास पत्र भिजवा दिये, किन्तु जो सबसे छोटी रानी थी, उसने सिर्फ 1 लिखकर पत्र वापस भिजवा दिया। राजा ने चारों चिट्ठियों को पढ़ा । किसी रानी ने वस्त्र लिखे थे, किसी ने आभूषण लिखे थे, किसी ने खाने पीने की वस्तु लिखी थीं। राजा विदेश से वापस आया और जिस रानी ने जो वस्तु लिखी थी, वह उसके पास पहुंचा दी। सबसे छोटी रानी ने 1 लिखकर पत्र भेजा था, राजा इसका आशय नहीं समझ पाया। वह छोटी रानी के महल में गया और पूछा -- प्रिये! आपने 1 लिखकर हमें विस्मय में डाल दिया। आप इसका आशय स्पष्ट करें । रानी ने कहा-- महाराज ! मुझे तो किसी सांसारिक वस्तु की आवश्यकता नहीं थी, मुझे तो एक आप ही चाहिए थे, वो मिल गये हैं । राजा रानी के अतिशय प्रेम को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। छोटी रानी ने माया को नहीं चाहा, बल्कि मायापति को चाहा तो उसे राजा मिल गये ।          ऐसे ही जो संसार की माया चा

कृष्ण सबकी सुनते है

Image
भगवान से अच्छा हमारा कोई मित्र नही होता । भगवान खुद बोलते है । तुम अपने दुर्गुण , दोष , सब मुझसे कहो । मेरा भक्त यदि मुझे छोड़ कर किसी और से कुछ मांगता है , मानो मेरी अवहेलना करता है । जब भी तुम दुखी होते हो तुम मुझे अपने दुख शेयर करो मेरे सामने आंसू बहाओ । मैं हूँ न तुम्हारे आंसू पोंछने के लिए , तुम्हारे दुख दूर करने के लिए । लेकिन फिर भी हम मूर्ख इंसान उन करुणामयी को छोड़ कर इस मायावी दुनियां में गुम रहते है । नकली लोगो पर विश्वास व उस परमपिता पर अविश्वास करते है । भगवान तो हर पल इंतजार करते है कि मेरा भक्त मुझे पुकारे तो नंगे पांव दौड़ा जाऊ । लेकिन हम उनको उस आत्मीय से पुकारते ही नही कि हमारी आवाज उन तक पहुंच पाए । उस शिद्दत से उन पर भरोसा करते ही नही ।  वरना तो वो हमारी आंखों में आंसू  देख ही नही सकते । एक बार उनके सामने बैठ कर उनके चरणों मे दो आंसू अर्पित तो कीजिये । सबसे ज्यादा भगवान अपने भक्त के आंसुओं से पिघलते  है । बस एक बार उनको द्रोपदी के जैसे पुकारने की जरूरत है । हमारी पुकार में द्रोपदी के जैसे जिस दिन विश्वास होगा । उस दिन प्रभु दौड़े चले आएंगे  एक सुंदर कथा -  कृष्ण

भगवान उनके भक्त और प्रेम

                  'भगवान उनके भक्त और प्रेम' एक गांव में भोली-भाली गरीब लड़की पंजिरी रहती थी। वह भगवान मदनमोहन जी की अनन्य भक्त थी। भगवान मदनमोहन भी उससे बहुत प्रसन्न रहते थे। वे उसे स्वप्न में दर्शन देते और उससे कभी कुछ खाने को माँगते, कभी कुछ। वह दूसरे दिन ही उन्हें वह चीज भेंट कर आती, पर वह उनकी दूध की सेवा नित्य करती। वह रोज उनके दर्शन करने जाती और दूध दे आती। सबसे पहले उनके लिए प्रसाद निकालती। दूध वह नगर में दूसरे लोगों को भी देती। लेकिन मदनमोहन जी को दूध अपनी ओर से देती। उसके पैसे न लेती। इस प्रकार वह दूध बेच कर अपनी जीवन नैय्या चलाती थी। लेकिन वह गरीब पंजिरी को चढ़ावे के बाद बचे दूध से इतने पैसे मिलते कि दो वक्त का खाना भी खा पाये। अतः मंदिर जाते समय पास की नदी से थोड़ा सा जल  दूध में सहज रुप से मिला लेती । फिर लौटकर अपने प्रभु की आराधना में मस्त बाकी समय अपनी कुटिया में बाल गोपाल के भजन कीर्तन करके बिताती। कृष्ण कन्हैया तो अपने भक्तों की टोह में रहते ही हैं , नित नए रुप में प्रकट होते, कभी प्रत्यक्ष में और वह पंजिरी संसार की सबसे धनी स्त्री हो जाती। लेकिन

हनुमान जी का बल और राम भजन

ये कथा सत प्रतिशत सत्य कथा है,, जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ,, की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा,, उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी,, और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा,, सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस ( वरदान द्वारा प्राप्त ) पुत्र हैं,, और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है,, बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था,, उसका घमंड तब ओर भी बढ़ गया,, जब उसने करीब करीब तीनों लोकों पर विजय पाए हुए रावण से युद्ध किया और रावण को अपनी पूँछ से बांध कर छह महीने तक पूरी दुनिया घूमी,, रावण जैसे योद्धा को इस प्रकार हरा कर बाली के घमंड का कोई सीमा न रहा,, अब वो अपने आपको संसार का सबसे बड़ा योद्धा समझने लगा था,, और यही उसकी सबसे बड़ी भूल हुई,, अपने ताकत के मद में चूर एक दिन एक जंगल मे पेड़ पौधों को तिनके के समान उखाड़ फेंक रहा था,, हरे भरे वृक्षों को तहस नहस कर दे रहा था,, अमृत समान जल के सरोवरों को मिट्टी से मिला कर कीचड़ कर दे रहा था,, एक तरह से अपने ताक़त के नशे में बाली पूरे जंगल को उजाड़ कर रख देना चाहता था,, और बार बार अपने से युद्ध करन

पेड़ो के बारे मे महत्वपूर्ण जानकारी

Image
पेड़ धरती पर सबसे पुरानें living organism हैं, और ये कभी भी ज्यादा उम्र की वजह से नही मरते, इंसानो द्वारा काट दिए जाते है । एक पेड़ दिन में इतनी ऑक्सीजन देता है कि 4 आदमी जिंदा रह सकें. किसी एक पेड़ का नाम लेना मुश्किल है लेकिन तुलसी, पीपल, नीम और बरगद दूसरों के मुकाबले ज्यादा ऑक्सीजन पैदा करते हैं. हर साल 5 अऱब पेड़ लगाए जा रहे है लेकिन हर साल 10 अऱब पेड़ काटे भी जा रहे हैं. दुनिया की बात करें, तो 1 इंसान के लिए 422 पेड़ बचे है. लेकिन अगर भारत की बात करें, तो 1 हिंदुस्तानी के लिए सिर्फ 28 पेड़ बचे हैं. पेड़ो की कतार धूल-मिट्टी के स्तर को 75% तक कम कर देती है. और 50% तक शोर को कम करती हैं. एक पेड़ इतनी ठंड पैदा करता है जितनी 1 A.C 10 कमरों में 20 घंटो तक चलने पर करता है. जो इलाका पेड़ो से घिरा होता है वह दूसरे इलाकों की तुलना में 9 डिग्री ठंडा रहता हैं. 1 पेड़ 1 साल में इतनी Co2 यानि कार्बनडाईआक्साईड सोख लेते है जितनी एक कार 41,000 km चलने परछोड़ती हैं. दुनिया की 20% ऑक्सीजन अमेजन के जंगलो द्वारा पैदा की जाती हैं. ये जंगल 8 करोड़ 15 लाख एकड़ में फैले हुए हैं. अपने जीवन

भारतीय गणना पर विश्व का वैज्ञानिक समाज

भारतीय वेदों के अनुसार पृथ्वी पर सृजन की उत्पती 197 करोड वर्ष पूर्व हुई है,आश्चर्य है कि आज की आधुनिकतम तमाम वैज्ञानिक भी इसी नतीजे पर पहुचे कि लगभग 2 अरब वर्ष पूर्व से सृजन अस्तित्व में आया, दोनो गणनायें पूरी तरह एक दूसरे से मिल रहीं हैं, भारतीय गणना पर विश्व का वैज्ञानिक समाज अचम्भित है कि भारतीयों ने इतनी सटीक गणना कैसे की, ग्रहों की चाल कैसे जानी, सूर्यग्रहण-चंद्र ग्रहण को कैसे पहचाना...!  ऋग्वेद के प्रथम अध्याय के 130 वें सूक्त में चंद्रमा को नक्षत्रेश कहा गया है,वेदों को पाश्चात्य विश्लेषक भी 10-15 हजार वर्ष पूर्व रचित मानते है। हमारे महाभारत में भी आया है कि वेदों का पुनःलेखन वेदव्यासजी ने किया है। इस प्रकार इतना तो स्पष्ट है कि विश्व को कालगणना का प्रथम कार्य व विचार भारत ने ही किया व दिया...।  जिस सूर्य सिद्यांत पर अंग्रेजी सन चल रहा है, उस सबसे पहले पटना में जन्में आर्यभट्ट ने परिष्कृत किया, उन्होने घोषित किया था कि पृथ्विी सूर्य का चक्कर लगाती है। वर्षमान 365.8586805 दिन भी उन्होने ही तय किया व त्रिकोणमिति का अविष्कार किया था, इसी प्रकार उज्जैन में जन्में वराह मिहिर ने