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Showing posts from June, 2019

भगवत गीता ने अब्दुल कलाम की सोच बदल दी

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आज मै आपको जो बात बताने जा रहा हूं वह बिल्कुल सच है एक दिन चेन्नई में समुद्र के किनारे धोती व शाल पहने हुए एक सज्जन भगवद गीता पढ़ रहे थे, तभी वहां एक लड़का आया और बोला- "आज साइंस का जमाना है, फिर भी आप लोग ऐसी किताबे पढ़ते हो,? देखिए जमाना चांद पर पहुंच गया है और आप लोग वही गीता व रामायण पर ही अटके हुए हो?" उन सज्जन ने उस लड़के से पूछा - "आप गीता जी के विषय में क्या जानते हो?" वह लड़का जोश में आकर बोला- "अरे छोड़ो..! मैं विक्रम साराभाई रीसर्च संस्थान का छात्र हूँ, मैं वैज्ञानिक हूं I'm a Scientist.. यह गीता बेकार है हमारे लिये।" वह सज्जन हसने लगे, तभी दो बड़ी बड़ी गाड़िया वहां आयीं। एक गाड़ी से कुछ ब्लैक कमांडो निकले और एक गाड़ी से एक सैनिक, सैनिक ने पीछे का दरवाजा खोला तो वो सज्जन पुरुष चुपचाप गाड़ी में जाकर बैठ गये। लड़का यह सब देखकर हक्का बक्का था, उसने दौड़कर उनसे पूंछा-  "सर.. सर आप कौन हो?" वह सज्जन बोले- "मैं विक्रम साराभाई हूँ।" सुनकर लड़के को 440 वोल्टस का झटका लगा। यह लड़का और कोई नहीं खुद डा. अब्दुल कलाम  थे।

पैगंबर मोहम्मद के जन्म से पहले भी अमरनाथ गुफा में हो रही है पूजा-अर्चना

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पैगंबर मोहम्मद का जब जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ गुफा में हो रही है पूजा-अर्चना! इसलिए इस झूठ को नकारिए कि अमरनाथ गुफा की खोज एक मुसलिम ने की थी! अमरनाथ का पूरा इतिहास जानिए ताकि अपने बच्चों को बता सकें .  अमरनाथ यात्रा शुरू होते ही फिर से सेक्युलरिज्म के झंडबदारों ने गलत इतिहास की व्याख्या शुरू कर दी है कि इस गुफा को 1850 में एक मुसलिम बूटा मलिक ने खोजा था! पिछले साल तो पत्रकारिता का गोयनका अवार्ड घोषित करने वाले इंडियन एक्सप्रेस ने एक लेख लिखकर इस झूठ को जोर-शोर से प्रचारित किया था। जबकि इतिहास में दर्ज है कि जब इसलाम इस धरती पर मौजूद भी नहीं था, यानी इस्लाम पैगंबर मोहम्मद पर कुरान उतरना तो छोडि़ए, उनका जन्म भी नहीं हुआ था, तब से अमरनाथ की गुफा में सनातन संस्कृति के अनुयायी बाबा बर्फानी की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। कश्मीर के इतिहास पर कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ और नीलमत पुराण से सबसे अधिक प्रकाश पड़ता है। श्रीनगर से 141 किलोमीटर दूर 3888 मीटर की उंचाई पर स्थित अमरनाथ गुफा को तो भारतीय पुरातत्व विभाग ही 5 हजार वर्ष प्राचीन मानता है। यानी महाभारत काल से इस गुफा की मौजूदगी खुद

भारत को भी जरुरत है विराथु की

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जो काम अमेरिका फ्रांस भारत रूस कोई नहीं कर पाया...वो बर्मा के विराथू जी ने कर दिखाया...आज बर्मा में करोडो रुपये के बने मस्जिद वीरान पड़े हैं...क्यूंकि आज देश मे मुसलमान देखने को नहीं है...जो की वहां जाए और देखे मस्जिदों को...और जो है वहां,उसकी तबीयत से ठुकाई हो रही है...! विराथु जिसके बाद ही लोग जान पाए कि ये महान इंसान कौन है...? और इन्होने क्या कर डाला है...? क्या भारत को भी एक #आसीन_विराथू की जरुरत है...?  कौन इस सन्त की तरह भूमिका निभा सकता भारत मे...? मित्रो अशीन विराथु - वो भगवा संत जिसके नाम से काँपते हैं मुसलमान...!  बर्मा के बौद्ध गुरु विराथु जी ने आखिर किस तरीके से मुस्लिम को भगाया या कमज़ोर किया समझो...!  जैसे मुसलमानों का '७८६' का नंबर लकी माना जाता है वैसे ही विराथु ने '९६९ ' का नंबर निकाला...और उन्होंने पुरे देश के लोगों से आह्वान किया...कि जो भी राष्ट्रभक्त बौद्ध है वो इस स्टीकर को अपने अपनी जगह पर लगायें...!  इसके बाद टैक्सी चलाने वालों ने टैक्सी पर...दूकान वालों ने दूकान पर...इसको लगाना शुरू किया...लेकिन विराथु का सन्देश साफ़ था...कि हम बौद्ध
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शाहिद कपूर की नयी मूवी आ रही है कबीर सिंह। आखिर शाहिद कपूर एक नशेड़ी का किरदार करके देश के युवाओं को क्या सन्देश देना चाहते है, चलो ये तो एक अभिनेता है पैसे के लिए कुछ भी कर लेते है इन्हें क्या किसी को कुछ भी सन्देश जाये। लेकिन एक बात मैं देश के युवा लड़के लड़कियों से पूछना चाहता हूँ कि आपको ऐसी फिल्मों में क्या पसंद आता है या क्या सन्देश मिलता है? बस यही की शाहिद क्या लग रहा था मुझे भी उसके जैसे बाल और स्टाइल करनी है वगैराह वगैराह... उन्हें तो किरदार निभाने का पैसा मिल गया पर कई लोगो की अच्छी मानसिकता को गर्त में डाल दिया जिनमे से कई ऐसे लोग भी है जो अभी ये मेरा लेख पढ़ रहे होंगे। मै बस इतना कहना चाहता हूं की बॉलीवुड अब कमाई का साधन बन चूका है कोई फिल्म अच्छी आती ही नहीं कुछ एक अच्छी आती भी है तो वो भी साउथ की कॉपी की होती है। मेरा कहने का मतलब ये नहीं की भारत में अच्छी फिल्में बन नहीं सकती है बन सकती है लेकिन अगर हम चाहें तो, आजकल की फिल्मों में प्रेरणा स्त्रोत जैसी कोई चीज ही नहीं है इन्हें साउथ की फिल्मों और अभिनेताओं से कुछ सीखना चाहिए जैसे की बाहुबली और उसका हीरो प्रभास।