शाहिद कपूर की नयी मूवी आ रही है कबीर सिंह।
आखिर शाहिद कपूर एक नशेड़ी का किरदार करके देश के युवाओं को क्या सन्देश देना चाहते है,
चलो ये तो एक अभिनेता है पैसे के लिए कुछ भी कर लेते है इन्हें क्या किसी को कुछ भी सन्देश जाये।
लेकिन एक बात मैं देश के युवा लड़के लड़कियों से पूछना चाहता हूँ कि आपको ऐसी फिल्मों में क्या पसंद आता है या क्या सन्देश मिलता है? बस यही की शाहिद क्या लग रहा था मुझे भी उसके जैसे बाल और स्टाइल करनी है वगैराह वगैराह...
उन्हें तो किरदार निभाने का पैसा मिल गया पर कई लोगो की अच्छी मानसिकता को गर्त में डाल दिया जिनमे से कई ऐसे लोग भी है जो अभी ये मेरा लेख पढ़ रहे होंगे।
मै बस इतना कहना चाहता हूं की बॉलीवुड अब कमाई का साधन बन चूका है कोई फिल्म अच्छी आती ही नहीं कुछ एक अच्छी आती भी है तो वो भी साउथ की कॉपी की होती है।
मेरा कहने का मतलब ये नहीं की भारत में अच्छी फिल्में बन नहीं सकती है बन सकती है लेकिन अगर हम चाहें तो,
आजकल की फिल्मों में प्रेरणा स्त्रोत जैसी कोई चीज ही नहीं है इन्हें साउथ की फिल्मों और अभिनेताओं से कुछ सीखना चाहिए जैसे की बाहुबली और उसका हीरो प्रभास।
परिवार के साथ देखने में भी डर लगता है कई बार तो फिल्म देखने में।
क्या कभी सोचा है छोटे बच्चो पर इन सभी का क्या प्रभाव पड़ता होगा।
क्या कभी सोचा है कि भारतीय फिल्में दुनिया में अपना नाम क्यों स्थापित नहीं कर पाती है जिससे उन्हें हमेशा याद किया जा सके इसका एक ही कारण है कि उनमें ऐसी कोई बात होती ही नहीं की उन्हें चार दिन से ज्यादा याद भी रखा जा सके।
आजकल बॉलीवुड की फिल्में पैसा कमाने के लिए आती है उन्हें देश की संस्कृति, सभ्यता, नारी सम्मान से कोई मतलब नहीं है।
देश के सभी समझदार लोग भी अपनी समझदारी और विवेक शक्ति घर पर छोड़कर अपनी फैमिली के साथ ऐसी फिल्में देखना पसंद करते है।
उनसे मैं यही कहना चाहता हूँ की मनोरंजन और टाइम पास में अंतर करना सीखिये, तभी आप अपनी सभ्यता और संस्कृति को सुरक्षित कर सकेंगे।
आज आप को जानना जरूरी है कि दुनिया के सभी देश अपनी सभ्यता और संस्कृति को सहेजे हुए है लेकिन भारत में भारत के ही कुछ लोग इसे धूमिल कर रहे है इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि दुनिया हिंदी भाषा की ओर आकर्षित होकर हिंदी सीख रही है और भारत में कई लोगो को हिंदी भाषा बोलने में शर्मिंदगी महसूस होती है।
और अंत में बस इतना ही की भारत की छवि खराब करने वाली किसी भी चीज का त्याग करो जिससे ये लोग दुबारा ऐसा करने से पहले हजार बार सोचे।
केवल उन्हीं लोगो को बढ़ावा दें जो भारत का नाम विश्व में ऊँचा कर रहे है जैसे फिल्मों में बाहुबली, विज्ञान में अब्दुल कलाम, नेताओं में मोदी जी, वाजपेयी जी जैसे नेता शिक्षको में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन, खेल में सचिन तेंदुलकर, विचारों में चाणक्य और भी बहुत है बताते बताते लेख बहुत बड़ा हो जायेगा।
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- लोकेश कुशवाहा

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