शादी में तोरण मारने का कारण जानिए


शादी मे तोरण पर तलवार से 3 बार दूल्हावार करने की असलियत का नही पता। आजकल ब्राहमणों ने सिर्फ शादी ब्याह कराना 1 पेशा समझ लिया है।

प्राचीन कथा के अनुसार कहा जाता है कि तोरण नाम का 1 राक्षस था, जो की शादी के समय दुल्हन के घर के दरवाजे पर तोते का रूप धारण कर के बैठ जाता था और जब दूल्हा द्वार पर आता तो वह उसके शरीर में घुस कर के दुल्हन से खुद शादी रचाकर उसे परेशान करता था।

1 बार एक साहसी, वीर और चतुर राजकुमार की शादी के समय जब दुल्हन के घर में प्रवेश कर रहा था तभी उसकी नजर उस राक्षसी तोते पर पड गयी और उसने तुरंत तलवार निकालकर उस तोते को मार गिराया और शादी कर ली। कहा जाता है कि उसी दिन से ही तोरण मारने की परंपरा शुरू हो गयी जो आज तक चल रही है।

आप सभी कभी गौर किया हो तो आपको पता लगेगा कि इस रस्म में दुल्हन के घर के दरवाजे पर लकड़ी का तोरण लगाया जाता है, जिस पर एक तोता होता है जो राक्षस का प्रतीक होता है। बगल में दोनों तरफ छोटे तोते होते हैं। दूल्हा शादी के समय तलवार से उस लकड़ी के बने राक्षस रूपी तोते को मारने की रस्म पूर्ण करता है।

गांवों में तोरण का निर्माण खाती करता है, लेकिन आजकल बाजार में बने हुए सुंदर तोरण मिलते हैं, जिन पर गणेशजी व स्वास्तिक जैसे धार्मिक चिह्न अंकित होते हैं और दूल्हा उन पर तलवार से वार करके तोरण या राक्षस मारने की रस्म पूरी करता है।


कृपया इसे भी ध्यान रखिये -

शास्त्रों के अनुसार तोरण पर तोते का रूप रखे लेकिन इन दिनों तोते की जगह गणेशजी या धार्मिक चिन्हों को बना दिया जाता है। दूल्हा भी तोरण की जगह उन पर ही वार करता है। कहते हैं भारतीय समाज में तलाक के मामले बढने के पीछे भी यही कारण है। विद्वानों को इस बात को समझकर प्रचारित- प्रसारित करना चाहिए। एक तरफ हम शादी में गणेश जी पूजन कर उनको रिद्धि- सिद्धि सहित शादी में पधारने का निमंत्रण देते हैं और दूसरी तरफ तलवार से वार कर उनका अपमान भी करते हैं, यह उचित नहीं है। तोरण की रस्म का ध्यान रखकर परंपरागत राक्षसी रूपी तोरण ही लाकर रस्म सही तरीके से निभाएं।

कृपया इस रस्म को विधिवत करें।

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